Tuesday, July 31, 2012

प्रभु का सन्देश !

भाग -2 (जनता के नाम )
प्रभु का सन्देश ! प्रभु ने जो यह धर्म -युद्ध छेड़ा हैं यह शीत -युद्ध की भांति कई वर्षो तक चलेगा । इसके कई रहस्य है इसे वही  जान सकता है जो प्रभु के कार्य को तन - मन और धन से कर रहा है और इसके साथ चाहिए प्रभु के प्रति अटूट टान वही टान उसे प्रेरित करेगी । वर्त्तमान में जो भी घटनाये हो रही है प्रभु सन्देश के मुताबिक सच होती प्रतीत हो रही है । ये युद्ध केवल एक जन लोकपाल या चंद केंद्र में बैठे मंत्रियो के विरुद्ध नहीं  
अपितु पूरी सिस्टम , अधर्म , कापुरुषता के विरुद्ध है । यह युद्ध स्वराज्य की स्थापना , सदाचार की स्थापना, पुन धर्म की स्थापना, आपसी सहयोग की स्थापना , भारत को विश्व शांति के दूत के रूप में स्थापना, के लिए है । प्रभु ने स्वयं इस युद्ध की कमान अपने हाथ में ले रखी है और हम उनके निर्देशानुसार अज्ञानी की भांति कार्य कर रहे है , क्योंकि प्रभु  के पास अच्छे सदाचारी सेनापतियों की कमी है । यह इस युग कलयुग की माया है । यही कारन कारण है की यह युद्ध काफी लम्बा चलेगा । हमारे धबराने या धैर्य खोने या उतेजना वश किया गया कार्य हमें बहुत पीछे धकेल देगा यहाँ तक की हमें अपनी गलतियों की सजा भी देगा । इसलिए प्रभु के कहा कि  धैर्य ना खोना अंतिम साँस तक क्योकि तुम्हारी परीक्षा उसी समय लेँगे की तुम मुझे कितना प्रेम करते हो । प्रभु का सन्देश बीच बीच में हमारे तुम्हारे माध्यम से आता रहेगा ।
          जैसे स्वामी विवेक नन्द के आहवान पर पुरे देश में सन्यासी बनने की होड़ सी लग गयी थी ठीक उसी तरह वैसे ही एक महापुरुष के आहवान पर देश के युवा और युवतियों में सदाचारी बनने की होड़ सी लग जाएगी , लाखो लाखो सदाचारी बनेगे । फिर प्रभु के सेना पतियों कि कमी नहीं रहेगी । और वही लोग इस देश के कर्णधार बनेगे फिर बनेगा भारत विश्व शांति का दूत ।
          प्रभु ने अपनी सारी योजना बना ली है और इसकी शुरुआत भी हो चुकी है जरुरत है तो सिर्फ प्रभु के मार्ग पर चलने की ।  

Tuesday, July 24, 2012

देश की स्थिति दयनीय क्यों ?

हम अपने मूल भारतीय संस्कृति को छोड़ कर स्वार्थवश प्रवृति के गुलाम हो गए है , जिससे हमारी अवनति आरंभ हो चुकी  है ।